आमिर जी, तुस्सी ग्रेट हो

Posted 10:58 pm by व्‍यंग्‍य-बाण in
फिलिम देखने का अपुन को बहोत शौक हे, पढ़ने के वास्ते मां-बाप स्कूल भेजता था, तो अपुन उधर से मास्टर को झोंका देकर कल्टी कर लेता और पहोंच जाता था सिनेमा हाल, 70 एमएम का सिल्वर स्क्रीन पर फिलिम देखने के वास्ते, बहोत मजा कियेला। अब तो फिलिम 15 इंच से लेकर 30 इंच का बुध्दु बक्सा पर आकर अटक गयेला हे। फिलिम भी दिखाता हे तो 3 घंटे का फिलिम में 30 बार ब्रेक करके दिमाग को क्रेक कर देता हे, और मल्टीप्लेक्स में जाना मतलब फोकट फालतू में टाईमपास करना। इससे भला तो आदमी सिरिफ एसी हाल में बेठकर दो घंटा का नींद मार ले। काहे कि ऐ नया फिलिम तो अपुन को पचता नईं, अपने आमिर भाई का फिलिम आया 3 ईडियट, तो बहोत तारीफ सुना, मोहल्ले वाला रम्मू, गिल्लू, खोटे और ताम्बू तो पहला ईच शो में देखके आएला हे। बताया के क्या एक्टिंग कियेला हे बाप, मजा आ गयेला। अपुन भी सोचा के चलो, इतना बिंदास फिलिम को देखने के वास्ते तो जाना ईच पड़ेंगा। फिर पहुंच गिया मल्टीप्लेक्स। टिकट लेकर अंदर अपनी कुर्सी पे जम गयेला बाप। फिलिम चालू हुआ, तो अगड़म-बगड़म कुछ समझ में आयेला, कुछ में दिमाग फिर गयेला। आमिर भाई का धांसू एन्टरी दिखाया, के पहेला ईच सीन में एक बांगड़ू को सूसू करने वाला आयटम में करंट मार दियेला। ये क्या बाप, अईसा तो कबी सोचा भी नईं। अब आगे देखेला तो ये क्या, लेटरिन रूम में आमिर भाई, अगल में षरमन भाई, बगल में माधवन भाई एक दूजे से बातां करते दिखाया। गाना चला तो आल-इज-वेल, ये क्या पिछवाड़ा हिला-हिला के बोलता आल-इज-वेल, आल-इज-वेल, अपुन माथा पकड़ लिया, क्या बाप पिछवाड़ा दिखाने से कैसे वेल हो जाएगा, फिर याद आया, के अख्खी दुनिया का अधिकतर बांगड़ू-लफाड़ू पिछवाड़ा के पीछे ईच तो पागल हे, पिछवाड़ा देखने के वास्ते कितना जुगाड़ करना पड़ता हे, दिख जाए तो आल-इज-वेल तो हे न भाई। येही च दिखाने को सोचा आमिर भाई ने। अब जईसे-तईसे तीन घंटा बिताने को टाईमपास करता रहा, पर आखिर में ये क्या, आखिरी सीन तो धांसू, जोरदार, जब चतुर भईया बोलता हे, जहांपनाह तुसी ग्रेट हो, तोहफा कूबूल करो, और अपना पिछवाड़ा उठा-उठा के कूदता हे। भाईरे फिलिम बहोत बढ़िया, बार बार पिछवाड़ा दिखाके आल-इज-वेल करके दुनिया को आमिर भाई ने कई लोगों के पिछवाड़े का दरसन कराया, उसका खातिर आमिर भाई को बधाई। अब फिलिम लगने वाला हे, मिलेंगे-मिलेंगे। अपुन सोचा के ये फिलिम वालां को क्या हो गयेला हे, फिलिम के लिए नाम का टोटा पड़ गयेला हे क्या, जो मिलेंगे-मिलेंगे नाम रख दिया, अब लफंगे-परिंदे भी बन रिया हे, फिर बनेगा दौड़ेंगे-भागेंगे, चढ़ेंगे-कूदेंगे। अरे अपुन से पूछ लेता फिलिम वाले तो अपुन एक से एक फिलम का टाईटल बता देता, कि पियक्कड़ भाई लोगन के खातिर भी फिलिम बनाने का पियेंगे-खाएंगे, दादा-भाई लोगन के लिए बनाने का मारेंगे-पीटेंगे, हड्डी तोड़ देंगे, छुपा-छुपी करके लाईन मारने वालां खातिर बनाने का रात में मिलेंगे-हिलेंगे, अउर क्या बताएगा बाप, अब सुबे उठ के दफ्तर जाने का तेयारी करने का, नईं तो घराड़ी का बेलन पिछवाड़े पे पड़ने का, के अख्खा दिन फिलिम-फिलिम करता हे, कमाएगा नईं तो खाएंगा क्या। दफ्तर में बाॅस भी पिछवाड़ा में लात मार के अपुन को कल्टी कर देगा कि चल निकल ले इधर से। बाकी सब ठीक, पर एक बात अपुन जरूर बोलेगा कि आमिर भाई वाकई ग्रेट, अख्खी दुनिया को पिछवाड़ा दिखाया हिला-हिला के दिखाया, घुमा-फिरा के दिखाया, पर बच्चा लोग क्या, माई लोग क्या, भाई लोग क्या, किसी ने नई चिल्लाया कि ये अश्लील फिलिम हे। समझ में आ गयेला हे बाप, के दुनिया भी तो येईच देखना मांगता हे।


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