गोलमाल टीम इन तिहाड़

Posted 12:01 am by व्‍यंग्‍य-बाण in लेबल: , ,
गोलमाल करने वालों का भी जवाब नहीं, बंधन टूटे ना सारी जिंदगी की तर्ज पर सब एक-दूसरे के पीछे एक जगह पर इकट्ठे हो ही जाते हैं। चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत जिस किसी शख्स ने भी बनाई होगी, मुझे उससे शिकायत है, दो अलग-अलग खानदानों के लोगों को भाई बनाने की बजाय चोर-चोर चचेरे भाई नहीं बना सकते थे क्या ? जो पुरूष प्रधान देश में नारियों को कलंकित करने के लिए एक और कहावत गढ़ दी।
यह बात कहावत सुनाने के लिए शुरू नहीं की थी मैंने, असल विषय तो गोलमाल टीम का है, जिसने देश के लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लाखों भोले-भाले बैसाखू, मंटोरा, बुधारू की आंखों में धूल झोंककर टू जी गोलमाल को अंजाम दिया। गोलमाल पार्ट 1 यानि कामनवेल्थ के कुकर्मी और गोलमाल पार्ट 2 यानि टू जी स्पेक्ट्रम के हीरो मय हीरोईन इस समय तिहाड़ में हैं। मतलब यह कि राजनीतिक क्षेत्र के गोलमालिए ‘हम साथ-साथ हैं‘ के स्लोगन को पूरी तरह निभा रहे हैं। मारन पर भी मारक मंत्र फंूका जा चुका है, तिहाड़ का दरवाजा उनके लिए खुल चुका है, अब गए कि तब। मेरे ख्याल से गोलमाल टीम के काफी खिलाड़ी तिहाड़ में इकट्ठे हो चुके हैं। इसलिए कप्तान का चुनाव हो ही जाना चाहिए। तभी तो टीम गोलमाल आगे नए-नए कारनामें कर सकेगी। इसके लिए आमिर खान जैसे आईडियाबाज एक्टर की तरह मेरे दिमाग में भी केमिकल लोचा आना शुरू हो गया है। दरअसल फिल्मों से मुझे बहुत लगाव है, बचपन से ही फिल्में बनाने के सपने देखता था, एकाध बार छत्तीसगढ़िया छालीवुड में ट्राई मारी, तो एक आल इन वन अजूबे कलाकार ने मुझे 440 वोल्ट का झटका दे दिया यह कहकर, कि फिल्म का निर्माता, निर्देशक, स्क्रिप्ट राईटर, डांस डायरेक्टर और हीरो मैं ही बनूंगा। मैंने पूछा-तो फिर मैं क्या करूंगा फिल्म में। आल इन वन ने जवाब दिया- अरे भाई फिल्म को देखने के लिए भी तो कोई चाहिए!
उस दिन से मैं कई दिनों तक फिल्म बनाने के सपने भूल गया, लेकिन तिहाड़ में गोलमाल टीम को इकट्ठा देखकर फिर मेरे दिमाग में फितूर उठा है। गोलमाल सीरीज बनाने वाले फिल्म निर्माता महोदय अगर कहीं यह लेख पढ़ सकें, तो कृपया विचार करें कि गोलमाल, गोलमाल-2, गोलमाल-3 के बाद अब इसी सीरीज को आगे बढ़ाते हुए गोलमाल टीम इन तिहाड़ फिल्म बनाना उचित होगा कि नहीं ? मेरे हिसाब से तो टीम के असली हीरो श्री श्री 1008 कल्लू भैया को बना देना चाहिए, क्योंकि कामनवेल्थ में बिना हाथ-पैर चलाए ही वे असली खिलाड़ी होने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। ये अलग बात है कि इनाम के रूप में उन्हें तिहाड़ में ऐश करने की छूट मिली हुई है। तिहाड़ पहुंचे एक जज महोदय प्रत्यक्ष रूप से कल्लू भैया और जेलर साहब को एक साथ नाश्ता पानी करते देख ही चुके हैं और गोलमाल टीम के खिलाड़ियों को वहां जेल होने के बावजूद खुले में घूमने फिरने की छूट मिली हुई है। एक पर एक फ्री का खेल तो पुराना हो गया, अब तो एक पर पांच, दस फ्री का जमाना आ गया है। तिहाड़ में एक कलमाड़ी भेजो, तो राजा, कनि सहित कईयों को खुलेआम घूमने की 100 प्रतिशत छूट। गोलमाल टीम के कोच फिलहाल बाहर हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें भी टीम को कोचिंग देने के लिए तिहाड़ भेजा जाएगा। इसका काउंटडाउन शुरू हो चुका है। मैं अब यह सोचने लगा हूं कि कहीं यह गोलमाल टीम तिहाड़ के अंदर में योजना बनाकर किसी ‘अखिल भारतीय राष्ट्रीय गोलमाल पार्टी‘ जैसी अंतर्राष्ट्रीय पार्टी बना लेगी, तो चोर-चोर चचेरे भाई की कहावत जरूर सार्थक हो जाएगी।


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