इक चतुर नार, करके सिंगार, इक चतुर नार बड़ी होशियार, दूरदर्शन चैनल पर सुबह-सुबह यह गाना दिखाया जा रहा था। मैं पड़ोसन के मजे ले रहा था, मेरा मतलब है पड़ोसन फिल्म के गाने का आनंद, (अगर पत्नी महोदया ने सुन लिया कि पड़ोसन का आनंद ले रहे थे, तो पूरा घर सिर पर उठा लेगी।) श्रीमती जी ने चाय लाकर टेबल पर पटकी और आंखें तरेरते हुए कहा, जल्दी से चाय पीजिए और बाजार से जाकर सब्जी लाईए। ये चतुर नार का राग अलापना बंद कीजिए। मैंने बड़े प्यार से पत्नी को पुचकारते हुए कहा अरी भागवान, तुमने शायद अपने आपको यानि नारी शक्ति को पहचाना नहीं है। पत्नी ने मुझे इस तरह देखा, जैसे मैं कोई अजूबा हूं। मैंने फिर अपना तीर फेंका, अरे तुमने देखा नहीं, चुनाव में जो नतीजे आए हैं, नारियों ने राजनीति में कितनी उठापटक मचा दी है ? जया अम्मा का तम्मा तम्मा हो गया और ममता दीदी का राजनीतिक सफर सुपर डीलक्स रेल की तरह दौड़ने लगा है।
एकता कपूर के सीरीयल की बात होती तो पत्नी महोदया सारा कामकाज छोड़कर घंटों तक उसका श्रवण करती। पर उन्हें राजनीति में कोई रूचि नहीं थी, सो हुंह कहते हुए किचन की ओर रूख कर लिया। मैं भी ठहरा मुंह की बीमारी से ग्रसित प्राणी, कोई यदि फोन पर मुझसे एक पंक्ति का सवाल भी पूछता था तो मैं उसे दिन, समय, घटना, अपने विचारों सहित पूरी कहानी-किस्सा सुनाए बगैर नहीं रह पाता, आखिर अपने ज्ञान का भंडार कहां और किस पर लुटाउं ? लिहाजा आदत जाती नहीं थी। पत्नी को मेरे अंदर छलक रहे ज्ञान से कोई मतलब नहीं था, चौका चूल्हे, गहने सिंगार और नारी फेम धारावाहिकों से उबर पाती, तभी तो उसे पता चलता कि नारी कितनी भारी है, जिसने 34 बरस के लाल को पीला करके रख दिया।
बहरहाल मैं बाजार की ओर सब्जी लेने के लिए निकल लिया। रास्ते में मिल गए मेरे एक लंगोटिया यार, जीवन में कभी लंगोटी पहनी नहीं, फिर भी हम लंगोटिया थे। मित्र ने कहा, और सुनाओ क्या हाल है ? मैं तो नारी महिमा मंडित करने के लिए पहले से ही उबला जा रहा था, कोई इसे सुनने को तैयार हुआ, मानो कोई मनचाही मुराद मिल गई। मैंने कहा, क्या क्या बताउं मित्र, देश इन दिनों उथलपुथल से जूझ रहा है। नारी सशक्तिकरण चरम पर है। मित्र ने कहा, क्या हुआ, भौजाई ने फिर से तुम्हारा बाजा बजा दिया क्या। मैंने कहा, अरे मित्र पहले मेरी भी तो सुनो, देश में इन दिनों नारी राज चल रहा है, रामायण से लेकर महाभारत तक और अब भारतीय राजनीति पर भी नारी भारी पड़ने लगी है। शीला ताई और माया मैडम तो पहले से ही राजकाज संभाल रही थीं, अब ममता दीदी और जया अम्मा ने भी अच्छे अच्छों को धूल चटा दी। वैसे भी देश की महामहिमा और केंद्र की सत्ता पर कठपुतलियां नचाने वाली मैडम ने नारी महिमा को मंडित किया है, यह अलग बात है कि राडियों और राखियों ने नारी महिमा को थोड़ा चूना लगाया है। लेकिन ओव्हरआल नारी का सबलापन अब देश दुनिया में दिखने लगा है। मित्र ने कहा, तो इसमें नया क्या है ? सदियों से नारी अपनी करामात दिखाती रही है। मैंने तनिक आवेश में आते हुए कहा, अरे तुमने अभी तक ठीक से पहचाना नहीं नारी शक्ति को, जब अबलापन का चोला नारी उतार फेंकती है, तो वह रणचंडी बन जाती है। महाभारत के कौरवों का नाश करा देती है। विश्वामित्र की तपस्या पर पानी फेर देती है। मित्र ने कहा बस, बस आज इतना ही, बाकी कल सुनेंगे। मुझे भी याद आया कि अगर समय पर सब्जी लेकर घर नहीं पहुंचा, तो घर में महाभारत मच जाएगी, रामायण के राम ने चौदह बरस वनवास झेला था, कलयुग में शार्टकट का जमाना है, लिहाजा मुझे दिन भर का वनवास झेलना पड़ेगा, रणचंडी ने अगर बेलन उठा लिया तो फिर खैर नहीं, महारानी लक्ष्मीबाई बनने में देर नहीं लगेगी। मैं तुरंत बाजार की तरफ भागा, वहां से आनन फानन सब्जी खरीदी और वापस घर पहुंचकर ही दम लिया। नारी शक्ति से मैं तो आए दिन परिचित होता रहता हूं, आपको भी नारी महिमा का कुछ ज्ञान हासिल हुआ या नहीं ?
2 comment(s) to... “नारी कितनी भारी है !”
2 टिप्पणियाँ:
जानदार और शानदार है। प्रस्तुति हेतु आभार।
लेख तो मस्त है, पर फ़ोटो ऐसा है जैसे किसी के हाथ-हाथ बनाने की मशीन लग गयी हो,
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